RTE के दाखिलों को लेकर निजी स्कूलों को DM की चेतवानी भी हुई बेअसर

गाज़ियाबाद। जिले में गाजियाबाद पेरेंट्स एसोसिएशन के नेतृत्व में आरटीई के दाखिलों को लेकर निजी स्कूलों, अधिकारियो एवम अभिभावकों के बीच घमासान लगातार बढ़ता जा रहा है। अधिकारी जहां बार बार निजी स्कूलों के साथ मीटिंग कर आरटीई के दाखिले करने की चेतावनी और नोटिस दे रहे है, वही निजी स्कूलों का कहना है कि हमारे यहां सीटे फुल हो गई है, आप सीएम के पास जाओ या डीएम के पास हम दाखिले नही लेंगे। गाजियाबाद पेरेंट्स एसोसिएशन की अध्यक्ष सीमा त्यागी और सचिव अनिल सिंह ने बताया की अभी लगभग 10 दिन पहले मुख्य विकास अधिकारी अभिनव गोपाल ने स्कूलों के साथ मीटिंग कर आरटीई के दाखिलों के लिए 15 जुलाई तक का समय दिया था। 

जिसका कोई असर जिले के स्कूलों पर नही पड़ा जिसके बाद जिलाधिकारी ने 19 जुलाई को लगभग 34 स्कूलों के साथ मीटिंग कर 24 जुलाई तक दाखिले करने के निर्देश दिए थे लेकिन जिलाधिकारी के ये निर्देश भी हवा हवाई साबित हुए जब सोमवार को अभिभावक अपने बच्चो के दाखिलों के लिए दिल्ली पब्लिक स्कूल का बदला हुआ नाम दी श्री राम यूनिवर्सल स्कूल , लोनी रोड  , ग्रीन फील्ड स्कूल , गोविंदपुरम ,गाजियाबाद पब्लिक स्कूल, नेहरू नगर , संभू दयाल ग्लोबल स्कूल , दयानंदनगर पहुंचे तो स्कूल मैनेजमेंट का रटा रटाया एक ही जवाब था की हमारे यहां सीटे फुल हो गई है हमने बीएसए को लिख कर दे दिया है अब आप डीएम के पास जाओ या सीएम के पास दाखिला नही होगा। जब परेशान अभिभावकों ने जिले के जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी को स्कूल के गेट से फोन किया तो महोदय ने बोल  दिया की अपने खंड शिक्षा अधिकारी से बात करो , इसके बाद अभिभावकों ने जिले के जिलाधिकारी को फोन किया तो उन्होंने बोल दिया वहा के एसडीएम को फोन करो , और जब एसडीएम को फोन किया गया था तो इनका जवाब था की तुम घर जाओ हम बात कर लेगे कुल मिलाकर जिलाधिकारी की मीटिंग का भी कोई असर निजी स्कूलों पर पड़ता नही दिखाई दे रहा है। अब देखना यह है की जिलाधिकारी और जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी नोटिस और चेतावनी से उपर उठ ऐसे स्कूलों की मान्यता रद्द करने की हिम्मत दिखा पाते है या फिर वही हर साल की तरह हवा हवाई दावे किए जाते हैं जीपीए  के आरटीई प्रभारी  धर्मेंद्र यादव का कहना है की जिला प्रशासन और शिक्षा अधिकारी गाजियाबाद पेरेंट्स एसोसिएशन और आरटीई के गरीब बच्चो के अभिभावकों के  धैर्य की परीक्षा न ले गरीब अभिभावकों को अपने बच्चो के शिक्षा के अधिकार के लिए  सड़को पर उतरने के लिए विवश न करे या तो अधिकारी अब इन बच्चो का दाखिला सुनिश्चित कराए या फिर दाखिला नही लेने वाले स्कूलों की मान्यता रद्द करे।