उत्तर प्रदेश में निजी स्कूलों की लूट पर लगाम लगाने के लिए योगी सरकार द्वारा फीस अधिनियम 2018 बनाया गया था। बिल बनने के बाद कयास लगाए जाने लगे थे की योगी सरकार इस बिल के माध्यम से उत्तर प्रदेश के अभिभावकों को प्राईवेट स्कूलों की लूट से मुक्ति दिलाएगी। देश भर की मीडिया में प्रदेश सरकार द्वारा बनाए गए फीस बिल ने खूब सुर्खियां बटोरी थी, लेकिन जब प्रदेश द्वारा प्रत्येक जिले में इस बिल को लागू कराने की बारी आई तो निजी स्कूलों की सत्ता में हनक का असर साफ साफ दिखाई देने लगा और लगभग 6 साल बीत जाने के बाद भी फीस अधिनियम बिल 2018 जिलों में सरकार लागू नही करा पाई और जिन गिने चुने जिलों में ये बिल अभिभावकों के दबाव में लागू भी हुआ, वहा भी ये बिल अभिभावकों को कोई लाभ नही दिला पाया । सरकार से लेकर अधिकारियो ने इस बिल से दूरी बनाए हुई है।
जिसके परिणामस्वरूप प्रदेश के अभिभावक निजी स्कूलों के हाथो लूटने के लिय विवश है जहा निजी स्कूलों द्वारा किताब , कॉपी , स्टेशनरी ,यूनिफॉर्म , मोजे और मोटी फीस के नाम पर खुलकर लूटा जा रहा है वही निशुल्क एवम अनिवार्य बाल शिक्षा अधिकार अधिनियम 2009 के अंतर्गत चयनित गरीब और आर्थिक रूप से कमजोर बच्चो को शिक्षा के अधिकार से वंचित करने से नही चूक रहे प्रदेश के करोड़ो अभिभावक योगी सरकार की तरफ उम्मीद भरी नजरो से आज भी आश लगाए बैठे है की बाबा जी की सरकार अभिभावकों की पीड़ा समझेगी और निजी स्कूलों की लूट पर अंकुश लगाएगी हम उम्मीद करते है की प्रदेश सरकार 2027 के विधान सभा चुनाव में अच्छे परिणामों को ध्यान में रखते हुए फीस अधिनियम 2018 बिल की समीक्षा कर इस बिल को अभिभावकों के हितों में और मजबूत बनाकर प्रदेश के प्रत्येक जिले में लागू कराएगी।