गाज़ियाबाद। गज़वा ए हिन्द के वास्तविक अर्थ पर इस्लामिक मौलानाओ से वार्ता करने दारुल उलूम देवबंद जा रहे महामंडलेश्वर यति नरसिंहानंद गिरी जी और उनके शिष्यों को मेरठ पुलिस ने रास्ते मे ही रोक लिया और परतापुर थाने में बैठा कर दारुल उलूम ना जाने देने का फरमान सुना दिया।उसके बाद मेरठ पुलिस ने उनके पूरे काफिले को डासना मन्दिर पहुँचाया जहाँ महामंडलेश्वर यति नरसिंहानंद गिरी जी महाराज को तीन दिन के लिये नजरबन्द कर दिया।दारुल उलूम देवबंद जाने वालों में अनिल यादव,डॉ उदिता त्यागी,मोहित बजरंगी तथा अन्य भक्तगण भी सम्मिलित थे।
शिवशक्ति धाम डासना के पीठाधीश्वर व श्रीपंचदशनाम जूना अखाड़े के महामंडलेश्वर यति नरसिंहानंद गिरी जी महाराज ने पुलिस और प्रशासन के व्यवहार को निराशाजनक और अलोकतांत्रिक करार देते हुए कहा कि इसके दोषी इस्लामिक कट्टरपंथी हैं जो सोशल मीडिया पर वार्ता के माहौल को बनने ही नहीं देते।जब भी हम इस्लामिक मौलानाओ से इस्लाम के आधारभूत सिद्धांतों पर चर्चा करना चाहते हैं, कहीं से इस्लामिक कट्टरपंथी मैदान में कूद पड़ते हैं और माहौल को बिगाड़ देते हैं।पुलिस और प्रशासन बवाल के डर से हमे बात करने से रोक देता है।
उन्होंने विश्व के सभी इस्लामिक मौलानाओ से प्रश्न किया कि इस्लाम मे ऐसा क्या है जो कि कोई भी मौलाना इस्लाम के मौलिक सिद्धांतों पर बात ही नहीं करना चाहता।जब भी हम इस्लाम को समझने के लिये इस्लामिक धर्मगुरुओं से शास्त्रार्थ करने का प्रस्ताव रखते हैं तभी सारी दुनिया के इस्लामिक कट्टरपंथी माहौल को बिगाड़ कर बातचीत को होने से रोक देते हैं।अगर ऐसा ही चलता रहा तो इस्लाम का सही अर्थ दुनिया कैसे समझ पाएगी?
महामंडलेश्वर यति नरसिंहानंद गिरी जी महाराज के साथ दारुल उलूम देवबन्द जाने वालो में यति रामस्वरूपनन्द,यति निर्भयानंद, यति रणसिंहानन्द, यति यतींद्रानंद, यति परमात्मानंद तथा अन्य सन्यासी भी थे।
महामंडलेश्वर यति नरसिंहानंद गिरी जी महाराज को दारुल उलूम देवबंद जाने से रोके जाने पर मेरठ और मुज़फ्फरनगर नगर के हिन्दू संगठनों ने निराशा जताई।
मेरठ के कट्टर हिंदूवादी नेता सचिन सिरोही ने कहा कि गज़वा ए हिन्द को समझने का एक बहुत बड़ा अवसर भारतवासियों ने खो दिया।मौलानाओ को कट्टपंथियों पर लगाम लगानी चाहिये ताकि हम सब इस्लाम को ठीक तरह से समझ सकें।
मुज़फ्फरनगर के राजू सैनी और बिट्टू सिखेड़ा ने भी इसे लेकर निराशा जताई।