गाजियाबाद। जीपीए की तमाम कोशिशो के बाद भी जहाँ जिले में सूची को आये लगभग 270 दिन अर्थात 9 महीने बीत जाने के बाद भी 2531 बच्चों को निःशुल्क एवम अनिवार्य बाल शिक्षा अधिकार अधिनियम 2009 ( आरटीई ) के तहत दाखिला नही मिल पाया है, वही अगर प्रदेश की बात करे तो ये आंकड़ा 50 % को भी नही छू पाया जो प्रदेश में राइट टू एजुकेशन 2009 की दुर्दशा को बयां करने के लिए काफी नजर आता है। गाजियाबाद पेरेंट्स एसोसिएशन की अध्य्क्ष सीमा त्यागी का कहना है कि निजी स्कूलों द्वारा आरटीई के अधिनियम का उलघ्न कर गरीब एवम आर्थिक रूप से कमजोर बच्चों को शिक्षा के मौलिक अधिकार से वंचित करना अपराध करने के समान है हमने प्रदेश के मुख्यमंत्री से लेकर जिले के तमाम अधिकारियों से दाखिले नही लेने वाले स्कूलो पर सख्त कार्यवाई करने का अनुरोध किया लेकिन पूरे प्रदेश में एक भी निजी स्कूल पर शासन , प्रशासन और अधिकारियों द्वारा कार्यवाई करने की हिम्मत नही दिखाई गई।
जिसके कारण निजी स्कूलों के हौसले बुलंद है और प्रदेश के हजारों गरीब बच्चों का आरटीई के तहत शिक्षा लेने का सपना टूट गया ये बच्चे आज भी उम्मीद लगाए बैठे है कि हमारे मुख्यमंत्री और अधिकारी हमे स्कूल में पढ़ने का अधिकार दिलायेंगे। गाजियाबाद पेरेंट्स एसोसिएशन प्रदेश के मुख्यमंत्री से अपील करती है दाखिला नही लेने वाले स्कूलो पर सख्त कार्यवाई करते हुये शत प्रतिशत बच्चों का दाखिला आरटीई के अंतर्गत सुनिश्चित कराया जाये जिससे की प्रदेश का एक भी बच्चा शिक्षा के मौलिक अधिकार से वंचित न रहे।