1962 को हुआ था पहला 'संसार बचाओं सम्मेलन'
नजफगढ़/नई दिल्ली, 5 नवम्बर | बारूद के ढेर पर बैठी दुनिया में नि:शस्त्रीकरण के पुरोधा श्री सतपाल जी महाराज ने पुन: एक बार मजहब के नाम पर लोगों का बाटने व मारने का सिलसिला रोकने की अपिल की हैं| उन्होने ये बात जोर देकर कही कि, यह सिलसिला केवल बातें करने से रूकने वाला नहीं हैं बल्कि इसके लिए हमें भारत के ऋषी—मुनियों का वह फॉर्मुला अपनाना होगा जो सभी भेद-भाव को मिटाकर मानव को मानव से जोड़ता है।
मानव उत्थान सेवा समिती द्वारा पंडवाला कलां स्थित श्रीं हंस नगर आश्रम में आयोजित त्रिदिवसीय सद्भावना सम्मेलन के अंतिम दिवस पर देश के कोने-कोने से आये हुये श्रद्धालुओं को संबोधित करते हुये सतपाल जी महाराज ने कहा कि, कुछ लोग धर्म और मजहब के नाम पर एकदुसरे की हत्या करने को ही सबसे बडा धर्म मानते हैं| हमास और इजरायल के बिच छिड़ी जंग इसी बात को दर्शाती हैं| यह बात ईश्वर की बनाई सृष्टी के लिए एक कलंक जैसी हैं| इसिलिए दुनिया में फैल रहीं इस नफरत को दूर करने के लिए भारत के तत्वज्ञानी संतो को आगे आना होगा|
श्री सतपाल जी महाराजने भारतवासियों को इस बात की भी याद दिलाई कि श्री हंस जी महाराज ने 18 और 19 नवम्बर 1962 में देश की राजधानी दिल्ली के रामलीला मैदान में ‘संसार बचाओ सम्मेलन’ का आयोजन किया था| दुनिया में जब अणुबम और उसके भयानक परिणामों की चर्चा होने लगी थी तब श्री हंस जी महाराज ने यह सम्मेलन कर नि:शस्त्रीकरण की ओर सबका ध्यान खिंचा था| अणुबम का खतरा आज पहले से कई गुणा बढ गया हैं| आज पुरी दुनिया बारूद के ढेर पर बैठी हैं| हम सब विनाश से केवल एक क्लिक की दुरी पर खडे हैं| ऐसें में हम सबको यह सोचना होगा कि, संसार कैसे बचेगा?
महाराज ने आगे बताया कि, 'वे खुद पिछले कई सालों से नि:शस्त्रीकरण की ओर दुनिया का ध्यान आकर्षित करने का काम कर रहे हैं| संतो का काम लोगों को जगाने का होता हैं. भारत ने हमेशासे ही दुनिया को रास्ता दिखाया हैं| हमें यह कतई नहीं भुलना चाहिये कि नफरत को दूर करने का फॉर्मुला भारत के पास ही हैं| नफरत को नफरत से दूर नहीं किया जा सकता बल्कि उसका रास्ता प्रेम और सद्भावना का है।
सम्मेलन में गुरु माता श्री अमृता जी ने कहा कि प्रभु को पाने का एक ही रास्ता है, वह है प्रेम का रास्ता| उसमें दूसरा भाव नहीं समाता, अगर आपके अंदर अहंकार है तो प्रभु की उस गली में आप नहीं घुस पाएंगे, केवल पवित्र भाव ही आपको प्रभु के पास तक ले जा सकता है और वह है मन की पवित्रता और मन की पवित्रता केवल साधना से ही आती है। इसलिए सभी को खूब भजन सुमिरन करना चाहिए।