गाजियाबाद। जीपीए आरटीई के दाखिलो को लेकर लगातार सघर्ष कर रही है जिसके सार्थक परिणाम भी सामने आ रहे है गाजियाबाद पेरेंट्स एसोसिएशन द्वारा दिनाँक 28-09-2023 को आरटीई के दाखिलों पर अधिकारियों की उदासीनता और निजी स्कूलों की मनमानी एवम प्रदेश में आरटीई के दाखिलो का ब्यौरा लेकर कार्यवाई करने के लिये महानिदेशक स्कूल शिक्षा को पत्र लिखा गया था जिसका सज्ञान लेकर महानिदेशक स्कूल शिक्षा विजय किरन आनंद ने प्रदेश में सभी जिला बेसिक शिक्षा अधिकारियों से आरटीई के अंतर्गत चयनित बच्चों के दाखिलों का ब्यौरा मांगा गया है।
गाजियाबाद पेरेंट्स एसोसिएशन की अध्य्क्ष सीमा त्यागी ने कहा कि हम उम्मीद करते है की महानिदेशक स्कूल शिक्षा आरटीई के दाखिले नही लेने वाले स्कूलो और दाखिले में लापरवाही बरतने वाले अधिकारियों पर सख्त कार्यवाई के साथ प्रदेश में आरटीई के शत प्रतिशत बच्चों का दाखिला सुनिश्चित कराने के सख्त आदेश जारी करेंगे ।
●प्रदेश में निजी स्कूल - लगभग45 हजार
● प्रदेश में 45 हजार स्कूलो में प्रवेश के लिये आरटीई की सीटे है -- 4 लाख 10 हजार
● चार चरणों की लॉटरी में प्रवेश के लिये सीटे आवंटित की गई -- 1लाख 34 हजार अर्थात केवल दो तिहाई सीटो पर ही प्रवेश के लिए आवेदन आये
● इस वर्ष दाखिले हुये केवल -- 85 हजार सीटो पर
● पिछले वर्ष दाखिले हुये केवल -- 72 हजार
● इस वर्ष पिछले वर्ष की अपेक्षा केवल 13 हजार ही दाखिले बढ़ सके है
प्रदेश में 45 हजार निजी स्कूलों में आरटीई की 4 लाख 10 हजार सीटे है अगर इन सभी आरटीई की सीटों पर आर्थिक रूप से कमजोर अभिभावको के बच्चों का दाखिला निजी स्कूलों में सुनिश्चित कराया जा सके तो प्रदेश के लाखों बच्चों को शिक्षा का अधिकार मिल सकता है लेकिन जागरूकता के अभाव में आरटीई की इन सीटों के लिए अभिभावको द्वारा आवेदन नही किया जाता है और ये सीटे खाली रह जाती है और जो अभिभावक इन सीटों के लिए अपने बच्चों के लिए आवेदन करते है उनको अपने बच्चों के दाखिले के लिए निजी स्कूलों और अधिकारियों के चक्कर लगाने पड़ते है उसके बाद भी प्रदेश में 50 प्रतिशत आरटीई के बच्चों को भी दाखिला नही मिल पाता । इसका सबसे बड़ा कारण है सरकार और अधिकारियों का शिक्षा का अधिकार अधिनियम ( आरटीई ) के प्रति गंभीर नही होना । आर्थिक रूप से कमजोर बच्चों के आरटीई के अंतर्गत दाखिलों के लिए सरकार और अधिकारियों द्वारा #जागरूकता अभियान नही चलाया जाता है आरटीई के दाखिला नही लेने वाले स्कूलो के खिलाफ ठोस कार्यवाई नही की जाती है और ना ही आरटीई के दाखिले कराने में लापरवाही बरतने वाले अधिकारियों पर कोई कार्यवाई की जाती है जिसके कारण हर वर्ष प्रदेश के आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग के लाखो बच्चे शिक्षा के मौलिक अधिकार से वंचित रह जाते है पिछले वर्ष RTE के दाखिलों का आंकड़ा लगभग 72 हजार था जबकि इस बार यह आंकड़ा 85 हजार हुआ है इस वर्ष पिछले वर्ष के मुकाबले लगभग 13 हजार RTE के दाखिले बढ़े है सरकार , शिक्षा विभाग और अधिकारियों की तमाम कोशिशों के बाद भी प्रदेश में RTE के दाखिलों का आंकड़ा 50 प्रतिशत भी नही पहुँच पा रहा है हालांकि इस बार सरकार शिक्षा विभाग और अधिकरियों ने सजगता दिखाई है जिसके कारण प्रदेश में पिछले वर्ष के मुकाबले 13000 आरटीई के बच्चों का दाखिला अधिक हुआ है लेकिन ये आंकड़ा किसी भी दशा में सरकार को और शिक्षा विभाग को राहत महसूस नही करायेगा । शिक्षा विभाग और अधिकारियों की मेहनत निजी स्कूलों की सत्ता में ऊंची पहुँच के आगे दम तोड़ती नजर आती है। क्योंकि लाख कोशिशों के बाद भी अधिकारियों के पास निजी स्कूलों पर कार्यवाई करने के अधिकार नही अधिकारीयो के पास आरटीई के दाखिले नही लेने वाले स्कूलो को केवल नोटिस और चेतावनी भेजने के अधिकार ही समिति है जिसके कारण प्रदेश के निजी स्कूल खुलकर शिक्षा के अधिकार अधिनियम की खुलकर धज्जिया उड़ाई जाती है जब तक सरकार आरटीई के दाखिलों को लेकर गंभीरता नही दिखाएगी तब तक शिक्षा का अधिकार अधिनियम ( आरटीई) निजी स्कूलों के दरवाजो पर ऐसे ही दम तोड़ती रहेगी और सरकार का "बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ का नारा " केवल प्रचार और प्रसार का माध्य्म बना रहेगा । गाजियाबाद पेरेंट्स एसोसिएशन देश के प्रत्येक बच्चे को सस्ती और सुलभ शिक्षा के सपने को साकार करने की लड़ाई अंतिम सांस तक लड़ती रहेगी।