गाजियाबाद। पुलिस कमिश्नर साहब द्वारा चलाए जा रहे हैं अभियान में बुजुर्गों के सहारे की लाठी बनने के लिए पुलिस विभाग ने सवेरा योजना शुरू की है। पुलिस का मकसद इस योजना में अधिक से अधिक बुजुर्गों को जोड़कर उन्हें मदद उपलब्ध कराने का है लेकिन सच्चाई इसके बिल्कुल विपरीत है।
पुलिस कमिश्नर का कहना है कि योजना से जुड़ने वाले बुजुर्ग अगर किसी आपात स्थिति में पुलिस को कॉल करते हैं तो महज 5 मिनट में पुलिस उनके घर पहुंचकर मदद उपलब्ध कराएगी। यह मदद अपराध, स्वास्थ्य और आगजनी की घटनाओं से संबंधित हो सकती है।
मास को-ऑपरेशन एनजीओ के राष्ट्रीय अध्यक्ष ने आरोप लगाया की यह योजना केवल रजिस्ट्रेशन कर झूठी वाह वाही लूटने तक ही सीमित है बल्कि वास्तविकता बिल्कुल इसके विपरीत है। जिसका अंदाजा आप इस बात से लगा सकते हैं कि एक बुजुर्ग व्यक्ति लियाकत अली 65 वर्ष जो केला भट्टा थाना कोतवाली क्षेत्र के निवासी है ने मास को-ऑपरेशन एनजीओ के राष्ट्रीय अध्यक्ष तौसीफ हाशमी को बताया कि उनके पुत्र मोहम्मद मदनी में एक मोटरसाइकिल-up-14-DV-5741 दिनेश कुमार निवासी- कौशांबी गाजियाबाद से खरीदी थी दिनेश कुमार ने शपथ पत्र के माध्यम से लिखित में दिया था कि उक्त गाड़ी पर कोई लोन नहीं है लेकिन पीड़ित को फाइनेंसरों द्वारा पता चला के उक्त गाड़ी पर 57468.6/. रुपए का लोन है पीड़ित ने गाड़ी मालिक से कहा कि आपने मेरे साथ धोखाधड़ी की है हमने आपके सारे पैसे दे दिए है लेकिन आपने मुझे यह नहीं बताया कि उक्त गाड़ी पर लोन है जिस पर दिनेश कुमार ने पीड़ित को उल्टा सीधा कहते हुए कहा जो तुझे करना है कर ले हमारा तो यही काम है इसकी शिकायत लियाकत अली ने पुलिस प्रशासन से की लेकिन पुलिस प्रशासन ने मदद करना तो दूर उल्टा उसे पहले तो एक थाना से दुसरे थाना भेजते रहे और फिर सिविल का मामला बताते हुए झूठी रिपोर्ट प्रेषित कर मामले को रफा-दफा कर दिया। पीड़ित ने पुलिस की रिपोर्ट के विरुद्ध उच्च अधिकारियों से मदद की गुहार लगाई लेकिन उच्च अधिकारियों ने बिना किसी जांच के पुलिस की रिपोर्ट को सही बता कर आईजीआरएस पर रिपोर्ट लगाकर प्रकरण का निस्तारण कर दिया पीड़ित से बात तक नहीं की। श्री हाशमी ने कहा जैसे हाथी के दांत दिखाने के अलग और खाने के अलग होते है इसी तरह गाजियाबाद पुलिस दिखावा करने में तो बहुत आगे है लेकिन जनता की मदद करने में कतराती है।