विशेष संवाददाता
गाजियाबाद। लेखन का कोई नियम, कोई आचार संहिता नहीं होती। प्रेमचंद से लेकर अब तक कहानी की परंपरा कई दौर देख चुकी है। कथन और शिल्प के स्तर पर सहजता ही कहानी को विशिष्ट बनाती है। चेखव, टालस्टाय, ओ' हेनरी, कृष्णा सोबती, हरि शंकर परसाई के लेखन में सहजता ही उनके लेखन को विशिष्ट बनाती है। सुप्रसिद्ध साहित्यकार राजा खुगशाल ने कथा रंग द्वारा आयोजित कथा संवाद में कहा कि कथा संवाद विमर्श का सार्थक मंच है जहां कहानी की बाकियों का सामूहिक विश्लेषण होता है। उन्होंने अपनी कुछ रचनाओं का पाठ भी किया।
होटल रेडबरी में आयोजित कथा संवाद में सुप्रसिद्ध साहित्यकार डॉ. लक्ष्मी शंकर वाजपई ने कहा कि देश में ऐसे आयोजन कम ही देखने को मिलते हैं। इन्हें स्कूल, कॉलेज से लेकर विश्वविद्यालय के मंच तक ले जाना होगा। उन्होंने अपनी रचनाओं 'सैलाब' और 'सोनू की बंदूक' पर भरपूर प्रसंशा बटोरी। विशिष्ट अतिथि अर्चना चतुर्वेदी ने कहा कि कथा रंग द्वारा जलाया गया यह अलख पूरे देश में जलाया जाना चाहिए। उन्होंने अपनी रचना 'लौट के पत्नी प्रेम में आए' पर खूब वाहवाही बटोरी। कार्यक्रम की विशेष आमंत्रित अतिथि ममता किरण ने 'सॉरी बेटा' के जरिए सबका ध्यान आकर्षित किया।
संयोजक सुभाष चंदर ने कहा कि कहानी भाव की अनुभूति है। कहानी में तार्किकता इसलिए बनी रहती है क्योंकि पाठक के पास अपना कुछ नहीं होता। वह वही देखता है जो लेखक दिखाता है। उन्होंने कहा कि कहानी पाठक की स्मृति में तभी रहेगी जब वह वास्तविकता के धरातल पर खड़ी होगी। लेखक व संपादक अमरेंद्र मिश्र ने कहा कि लेखक की स्पर्धा स्वयं से होनी चाहिए। एक लेखक की तुलना दूसरे लेखक से नहीं की जा सकती है। उन्होंने कहा कि लेखन में ऐसी थरथराहट, ऐसी घबराहट होनी चाहिए कि पाठक भी उसे उसी तरह महसूस करे। आयोजक आलोक यात्री ने कहा कि संवादहीनता इस दौर की सबसे बड़ी त्रासदी है। पत्रकार व लेखक अतुल सिन्हा ने कहा कि अपनी रचनाओं के जरिए दुनिया से संवाद करने वाले लेखक भी आज प्रत्यक्ष संवाद से वंचित हैं। संवाद आज के दौर की संजीवनी है।
इस अवसर पर डॉ. बीना शर्मा, डॉ. अजय गोयल, प्रताप सिंह, अनिल गोयल, रिंकल शर्मा व शिवराज सिंह द्वारा पढ़ी गई कहानियों पर सुभाष अखिल, विपिन जैन, ईश्वर सिंह तेवतिया, अनिल शर्मा, डॉ. तारा गुप्ता, अनिमेष शर्मा, वागीश शर्मा, देवव्रत चौधरी, तूलिका सेठ, के. के. जयसवाल व टेकचंद ने हिस्सा लिया। कार्यक्रम का संचालन रिंकल शर्मा ने किया। इस अवसर पर डॉ. महकार सिंह, ब्रजमोहन मेरठी, कुलदीप, सुशील शर्मा, प्रभात चौधरी, संजय भदौरिया, रवि शंकर पांडे, सुभाष कुमार, रविंद्र कुमार 'रवि', दिनेश कुमार खोजांपुरी, सुरेंद्र शर्मा, राजीव कुमार वर्मा, आनंद कुमार व धर्मपाल सिंह सहित बड़ी संख्या में श्रोता मौजूद थे।