भूली बिसरी यादें -
(सुशील कुमार शर्मा, स्वतंत्र पत्रकार)
गाजियाबाद। कुछ ऐसे संस्मरण होते हैं जो कभी याद आ जाते हैं तो लगता है, समय के चक्र का कोई पता नहीं।गाजियाबाद में लम्बे समय तक एआरटीओ के दोनों पदों पर और फिर आरटीओ रहे आर. के. उपाध्याय अब अवंतिका में कृपालु जी महाराज के नाम से मठाधीश बन गये हैं। दिवंगत पूर्व मंत्री रामबीर उपाध्याय को भी राजनीतिक जीवन उन्हीं की बदौलत मिला, तब उनकी भी बसें चलती थीं। जिला पंचायत गाजियाबाद के गठन के प्रारंभ में ,80 के दशक में एस. के. शर्मा कार्याधिकारी थे। वह मेरे मित्र थे। तब जिला पंचायत का कार्यालय राज नगर सैक्टर -5 में था। जब मैं उनके पास बैठा होता था अक्सर उनके पास आर. के. उपाध्याय आते रहते थे। शर्मा जी ने शुरू में ही उनसे मेरा परिचय करा दिया था कि यह पत्रकार हैं और मेरे मित्र हैं,तो वह जब भी उनसे मिलने आते उनके साथ-साथ मेरे भी पैर छूकर प्रणाम करते थे। मैं उपाध्याय जी को पहचानता था ।उस जमाने में वह बहुत ड्रिंक करने के कारण चर्चित थे। एस. के. शर्मा जी ने बताया था कि इनकी जो दूसरी पत्नी हैं उनके स्वसुर मेरे मित्र हैं इसलिए मुझे भी वह उतना ही सम्मान देते हैं।
ऐसा ही एक प्रकरण प्रख्यात कवि प्रवीण शुक्ल का याद आता है। उनके पिता ब्रज शुक्ल 'घायल' मेरे मित्र थे । वे अक्सर कृष्ण मित्र जी के पास आते थे तो मेरे से अवश्य मिल कर जाते थे। हम गाजियाबाद जर्नलिस्ट्स क्लब के बहुत बड़े कार्यक्रम करते थे। ब्रज शुक्ल 'घायल' जी चाहते थे कि पत्रकारों के होली मिलन के कार्यक्रम में उनके बेटे को भी बुलायें। तब प्रवीण शुक्ल हास्य कविता करते थे। उनके अनुरोध पर हमने प्रवीण शुक्ल को आमंत्रित किया था। गाजियाबाद में यह पहला उनका काव्य पाठ था। उनके साथ हास्य कवि भौंपू भी आये थे। भौंपू तो पता नहीं कब खिसक गये । उन्हें लगा मैं हूट हो जाऊंगा। लेकिन प्रवीण शुक्ल जमे और उन्हें भरपूर ताली भी मिली। उन्हें सम्मानित भी किया गया। आज प्रवीण शुक्ल देश के प्रख्यात कवियों में शुमार है। हमें गर्व है कि उनका पहला काव्य पाठ पत्रकारों के होली मिलन समारोह में हुआ था। प्रख्यात कवि अल्हड़ बीकानेरी और प्रेम किशोर पटाखा भी इस आयोजन में सम्मानित किए गए हैं।
होली मिलन समारोह से जुड़ा एक प्रसंग और याद आता है। उस आयोजन के मंच पर बैठने के लिए कई राजनीतिज्ञ तथा नव धन्नासेठ बहुत लालायित रहते थे। लेकिन हम पदेन या पूर्व जनप्रतिनिधियों और वरिष्ठ अधिकारियों को ही मंचासीन करते थे। जो गाजियाबाद जर्नलिस्ट्स क्लब के आयोजनों में कभी मंचासीन नहीं हो पाये, उनमें से वर्तमान में एक पूर्व दर्जा प्राप्त मंत्री हैं ,एक सिविल डिफेंस के चीफ वार्डन हैं और एक भाजपा के वरिष्ठ नेता हैं जिनका संजय नगर में इंटर कालेज है और वह एक पत्रकार/ कवि के बहुत करीबी भी थे।पत्रकार से मेयर बने तेलू राम काम्बोज तो पहले ही अनुरोध कर अपना स्थान तय करा लेते थे। उनका हम भी हमेशा ध्यान रखते थे। गाजियाबाद जर्नलिस्ट्स क्लब का होली मिलन समारोह अपने आप में अनूठा प्रोग्राम होता था।जिसकी एक माह पहले से रिहर्सल होती थी।जनप्रतिनिधियों और अधिकारियों के बारे में वर्ष भर प्रचलित चर्चाओं को नाटिका और पैरोडी के माध्यम से रंगकर्मी प्रस्तुत करते थे। पूर्व गवर्नर सत्य नारायण रेड्डी ,पूर्व केन्द्रिय मंत्री शीला कौल (इंदिरा गांधी जी की मामी) , दिग्गज अभिनेताओं में शुमार एस. एम. जहीर, अनिल कपूर के बहनोई संदीप मारवाह भी इस आयोजन की अतिथि रहे हैं। गाजियाबाद निवासी फिल्म अभिनेता निशिकांत दीक्षित तो पत्रकारों के होली के कार्यक्रम में अधिकारियों और राजनेताओं पर चर्चित मुख्य नाटिका के मुख्य पात्रों में रहते थे। हमें गर्व है कि वह लगभग सभी दिग्गज अभिनेताओं के साथ काम कर चुके हैं और लगातार कर रहे हैं। कई सीरियलो और सावधान इंडिया में भी वह किसी भी पात्र में नजर आ जाते हैं।