मुरादनगर। गुरु पूर्णिमा के अवसर पर मानव उत्थान सेवा समिति के तत्वावधान में दो दिवसीय गुरु पूजा महोत्सव पर गंग नहर स्थित श्री हंस इंटर कॉलेज के प्रांगण में उपस्थित श्रद्धालुओं को संबोधित करते हुए सुविख्यात समाजसेवी व उत्तराखंड सरकार में कैबिनेट मंत्री श्री सतपाल जी महाराज ने कहा कि हमारे देश में गुरु पूर्णिमा का विशेष महत्व है। शास्त्रों में कहा गया है कि 'गु' माने अंधकार, 'रु' माने प्रकाश अर्थात जो व्यक्ति को अज्ञान रूपी अंधकार से ज्ञान रूपी प्रकाश में ले जाए वह सद्गुरु होता है। हमारे देश में अनेक देवी देवताओं का पूजन होता है लेकिन मुख्य देवों में ब्रह्माजी, विष्णुजी, महेश (भगवान शंकर) की वंदना की जाती है। ब्रह्मा जी ब्रह्मा है विष्णु नहीं, विष्णुजी विष्णु है ब्रह्मा जी नहीं, महेश जी महेश है ब्रह्मा, विष्णु नहीं, लेकिन सद्गुरु में ब्रह्मा, विष्णु और महेश तीनों का ही समावेश हो जाता है। इसीलिए गुरु वंदना में गुरु ब्रह्मा, गुरु विष्णु, गुरु देवो महेश्वरः, गुरु साक्षात् परम ब्रम्ह, तस्मै श्री गुरवे नमः।आत्म तत्व का बोध कराने वाले ही सद्गुरु होते हैं। उन्होंने कहा कि गुरु महाराज अध्यात्म ज्ञान का ही प्रचार करते हैं, अध्यात्म ज्ञान से ही हमारा देश विश्व गुरु बनेगा।
श्री महाराज जी ने कहा कि आज इस संकट के समय में हमें प्रभु के सच्चे नाम का स्मरण करना है। ध्यान के जरिए जो नकारात्मक सोच है उसे समाप्त करना है। नकारात्मक शक्ति केवल सकारात्मक शक्ति से ही समाप्त होगी। कहा गया है कि अंधेरा कितना ही गहन क्यों न हो, प्रकाश की एक किरण उस गहन अंधकार को समाप्त कर देती है। इसी प्रकार नकारात्मकता कितनी भी अधिक क्यों न हो, अगर सकारात्मक रोशनी है, उसे हम प्रकट करते हैं तो नकारात्मकता धीरे-धीरे समाप्त हो जाती है।
उन्होंने कहा कि आज उस ज्ञान को हमें अपने जीवन में लाना है और उसका निरंतर भजन सुमिरन करना, हमारे जिले में शांति होगी, हमारे प्रदेश में शांति होगी और भारत देश में शांति होगी। यह बहुत जरूरी है कि हम प्रभु के सच्चे नाम का निरंतर स्मरण करें हमें यह बड़ा ही सुंदर मौका मिला है कि हम सब कर्मों के साथ- साथ भजन सुमिरण करते हुए अपना कल्याण करें।
इस अवसर पर अनेक संत महात्माओं ने अपने सारगर्भित विचारों से उपस्थित जन समुदाय को लाभान्वित किया । कार्यक्रम से पूर्व श्री महाराज जी, माता श्री अमृता जी व अन्य विभूतियों का माल्यार्पण कर स्वागत किया गया। मंच संचालन महात्मा हरिसंतोषानंद जी ने किया।